ओह भैया !!! आओ , चले गाँधी की नगरी , फ्रॉडगिरी की ओर!!


ओह भैया ! आओ चले गाँधी की नगरी ,फ्रॉडगिरी की ओर !!!
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सबसे पहले कुछ आगमन करने से पहले मैं फिर से आप सभी लोगों को दिलो दिल से नमस्कार करना चाहूँगा ओर अर्ज़ करना चाहूँगा की-------
"हिंदुस्तान पुराना था,
गाँधी का जमाना था,
हम सभी ने वक़्त को थमा था ,
नए भारत का उदय कराना था ,
हर एक कोने को विकसित दिखाना था,
मगर भाइयों इसी बीच हो गयी एक भूल
जिसका परिणाम पछताना था ,
क्योंकि फ्रॉडगिरी के सारे धंधो को अब गाँधीगिरियों को chalaana था !!!"

चुकी अब हम गाँधी गिरी की दुनिया की ओर निकल पड़े हैं तो मैं इस संधर्बमैं बस इतना ही कहना चाहूँगा की जो पहले सच्चाई हुआ करती थी , अब वैसा कुछ या कहा जाये वोह सब कुछ अब असंभव सा हो गया हैं !
<">कहा एक ओर हम ज़माने की नए उच्चाइयो को छु रहे है ,तो ठीक दूसरी ओर अपनी मर्यादा को भूलते जा रहे हैं !
ओर इसी गाँधी गिरी से फ्रॉड गिरी के कारवा को मैं एक कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ ,ओर आशा करता हूँ आप सभी यारों से की आप भी इसे पसंद करे ओर अपना विचार prakat kare !!!
"सन १९०० ई का जमाना था ,
वक़्त ने बुरी तरह भारत को मारा था ,
गाँधी,नेहरु,बोसे ने आज़ादी का जिम्मा थामाँ था,
ओर यही नहीं यारों
बल्कि पुरे भारत मैं गाँधी गिरी को फैलाना का उन्होंने मकसद thana था !
वक़्त बदला ,rukh बदला ,समय को बदलना हमने jaana tha ,
क्योंकि भाइयों ,अब हिन्दुस्तानियों के तेज की रौशनी को पुरे विस्व मैं फैलाना था ,
बड़े से बड़ा आन्दोलन चलाना था ,
जीत को अपने गले लगाना था,
गाँधी गिरी के पथ पर अपने को हमेसा अग्रसर कराना था !!

न मरना था , न मारना था ,
सिर्फ अहिंसा के बल पर jeetna था ,
बस चलना था , सौर्यवान बनना था ,
अपने दहारोँ से दुश्मनों को मार डालना था !
अब कठिनाइयों मैं भी जीवन को जीना था ,
समय को अपने मुठी मैं करना था ,
सन १९४७ ई का जमाना था,
जब गाँधी गिरी , सच्चाई के बल पर हमने thana था,
की पुरे भारत को हमेसा के लिए आजाद karaana था!!!

अंत हमने जाना था ,
सच्चाई को हमने पहचाना था ,
सभी भारतीयों ने एक दुसरे का हाथ थामा था ,
गाँधी गिरी को अपनाया था ओर भारत को आज़ाद करा के खुद को शूली पे झूल जाना था
क्योंकि यारों
न मरना था , न मारना था ,
बस वीरगति को प्राप्त होना था !

अब चुकी आज़ादी के बाद का ज़माना हैं,
सन १९६० ई --२०१० ई पर प्रकास डालना हैं ,
गाँधी गिरी की नगरी का लोप होना हैं ,
अरे यारों , आप तो वाकिफ ही होंगे सच्चाई से क्योंकि
अब विकसित पीड़ी का ज़माना हैं !!

झूट बोलना , dhoka देना ,
इनसे नाम कमाना हैं ,
सच्चे आदमी को ठग के
अमीर बन जाना हैं ,
अरे यारों इस लिए तो कहता हूँ की
फ्रॉड गिरी के सारे धंधो को अब गाँधी गिरियों को चलाना हैं !!
घुसखोरो का ज़माना हैं ,
रंगदारी , क़त्ल ,घोटाला , चोरी करके नाम कमाना हैं ,
देश का नाम डुबाना हैं ,
क्योंकि यारों , अब गाँधी की नगरी को छोड़कर फ्रॉड की नगरी को अपनाना हैं !!!!!!!




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