आन , बान , शान , हाकी हैं मेरी जान !!!!



आन ,,बान ,, शान ,,हाकी हैं मेरी जान !!!!



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बहुत ही शर्मिंदा महसूस किया जब मुझे यह पड़ने को मिला की " हाकी किया एक राष्ट्रीय खेल हैं या राष्ट्रीय शर्म " और मैं तो यह भी मानता हूँ की यह सरासर गलत हैं इस प्रकार हाकी के बारे में कहना |

यदि आज की पीड़ी की बात करे तो उनमे बस यही इच्छा हैं की किसी भी तरह से अपने को क्रिकेट में घोल लियाजाए या शूटिंग में मगर यह किसी भी इच्छा नहीं हैं की में उस उच्चस्तरीय राष्ट्रीय खेल की और दौर लगाऊ जहाँ खिलाडियों की कमी खल रही हैं |

अच्छा अतिथियों इन सबके अलावा में अपनी ओर से एक ओर संधर्व पेश करना चाहूँगा की यदि आप सभी कोकुछ हाकी के पिछले दस या कहा जाए ३० सालों के बारें याद हो तो आपका गर्व महसूस होगा ओर आप दिल से भी बोल सकेंगे की हाँ , सच्च में हाकी हमारा राष्ट्रीय खेल था क्योंकि अब यह लुप्त होती जा रही हैं |

पहले खिलाडियों में जोश था , बैचनी थी , ललक था , अब तो सबकुछ ठंडा सा पड़ गया हैं| अब सिर्फ क्रिकेट और क्रिकेट और इन सबके पीछे सबसे बड़ी कारण हैं पैसा |

चुकी हाकी में काफी कम आमदनी हैं वहीं क्रिकेट में लाख्नो की आमदनी | और आप सभी भलीभाति भारत की युवा पीड़ी की मानसिकता से परिचित होंगे की वोह क्या चाहते हैं | जी हाँ , वोह चाहते हैं सिर्फ पैसा और नाम और इन सबको पूरा करने वाला हैं क्रिकेट का नाम ना की हाकी का आन और जिसका परिणाम आप सभी जानते हैं " टूटी विश्व कप की कमान "|

मगर किया आप जानते हो इस चीज़ को,,,की यह हाकी की हार नहीं हैं , यह राष्ट्रीय खेल की हार हैं, यह भारत की हार हैं , यह हमारी हार हैं | और इस हार को यदि जीत में बदलना हैं तो कोई मुशकिल नही हैं बस चाहिए भारत के चारों कोनो से खिलाडियों की खोज ,हाकी के प्रति जोश , और में तो यह दावे से कह सकता हूँ की यदि ऐसा हुआ तो वोह दिन दूर नहीं हैं जब फिर से भारत हाकी विश्व विजेता बनेगा |

राष्ट्रीय खेल हाकी कोई राष्ट्रीय शर्म नहीं हैं | खेल में तो हार जीत लगी रहती हैं | यदि आप हमेसा हार रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं हैं की आप शर्म महसूस करे बल्कि कोशिश करे उन गलतियों को सुधारने की जिसके कारण हार हो रही हैं और वोह खामिया या तो खिलाडियों के रूप में हो या खेल कूद के सामान को लेके मगर दूर करे इन खामियों को |

बढावा दे, प्रसार प्रचार करे , जोश भरे और मेहनत करे तो जरूर से सफलता आपके हाथ लगेगी |

और में तो बस आप सभी भाइयों से गुजारिश करता हूँ की आप हाकी के बारे में प्रसार प्रचार और जो भी हो सके वोह करे और गर्व से बोले " आन , बान , शान , हाकी हैं मेरी जान !!!! क्योंकि यह तो भारतीयों की साहस हैं की चाहैं कितनी भी कठिन परिस्तीथी जाये वोह पीछे नहीं हटते फिर हाकी से क्यों भागना ? बल्कि इसे जीतना हैं , और सिर्फ जीतना हैं ||

यह लिपि में ध्यानचंद और भारतीय हाकी को समर्पित करता हूँ ||||

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