सिर्फ माँ का प्यार और ईश्वर का दुलार |||||





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बहुत गर्व महसूस करता हूँ,
जब याद करता हूँ माँ के प्यार को
ईश्वर के लाड दुलार को
जिसने मेरे हर एक दोषों को माफ़ किया हैं,
हर एक खुशियों को झोलियों से भरा हैं ,
ऐसे माँ और ईश्वर को करता हूँ नमन
जो बिना स्वार्थ के करते हैं सबका मनन ,सबका मनन |||

याद रहेंगे वोह पल ,
जब माँ ने मुझे जन्म दिया था |
गर्भ में कितना दर्द सहन किया था ,
पैदा हुआ ,छोटा था ,कुछ भी नहीं जनता था ,
बस माँ के सहारे सब कुछ जाता था ,
और खुशियों को समेट लेता था ||

घर की आमदनी थी बहुत कम ,
मगर माँ ने कभी नहीं किया गम
बल्कि मेरी खुशियों की झोली को भर देती हरदम ,
यह प्यार नहीं तो क्या हैं , बस यही तो माँ का संस्कार हैं ||

अब छोटे से बड़ा हो जाना था ,
माँ ने मुझे अच्छे संस्कार से सींचा था ,
पड़ना लिखना सिखाया था ,
बड़ा आदमी बन्ने को बताया था
क्योंकि माँ का यह निः स्वार्थ सपना था ,
ताकि भारत के एक सपूत को अच्छा बनाना था |||

सबसे बड़ी बात तो यह हैं ,
की बच्चा कितना भी क्यों सरारती हो ,
मगर माँ उसे कभी दिल से डाटती हो|
अरे यही तो हे हैं प्यार ,
जिसे पाने के लिए दुनिया हैं बेकरार
क्योंकि यही माँ का प्यार
ईश्वर की दुलार
जो कराती हैं सारे दुखों से पार |||

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